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शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता

 शिक्षा मनोविज्ञान विधायक तथा व्यावहारिक विषय होने के कारण व्यक्ति तथा समाज , दोनों के लिए उपयोगी है।  इसकी उपयोगिता के विषय में स्किनर ने कहा है - संस्कृति को समझने के लिए शिक्षकों के द्वारा छात्रों को समझने की आवश्यकता है और उन्हें छात्रों के पथ प्रदर्शकों के रूप में अपने को समझने की आवश्यकता है।  इस प्रकार के अवबोध में मनोविज्ञान बहुत योग दे सकता है।  शिक्षकों को अपने शिक्षण कार्यो को सफल और छात्रों के सीखने को लाभप्रद बनाने के लिए उसे मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो का अनिवार्य रूप से प्रयोग करना चाहिए।     शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता : स्वयं की योग्यता का ज्ञान एवं तैयारी। बाल विकास की अवस्थाओं का ज्ञान। बाल स्वभाव व व्यवहार का ज्ञान। बालको की क्षमता व रूचि का ज्ञान। बालको की अवश्यक्ताओ का ज्ञान। बालको के चरित्र निर्माण में सहायक। बालको की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का ज्ञान। बालको के सर्वांगीण विकास में सहायक।

शिक्षा

  शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु से बना है शिक्ष शब्द का अर्थ है सीखना या सीखाना। शिक्षा वह है जो मनुष्य के अंदर निहित योग्यता को विकसित करके बाहर निकल सके।  शिक्षा से ही व्यक्ति सभ्य सुसज्जित व समाजोपयोगी बन सकता है।  शिक्षा वह है जो मनुष्य को अपने आस पास  के लोगो के साथ सामंजस्य स्थापित करने की योग्य दे।  समायोजन और कुसमायोजन दो पहलु होते है समायोजन सकारात्मक पहलु है जबकि कुसमायोजन नकारात्मक पहलु है।  समायोजित व्यक्ति वह है जिसने शिक्षा का सदुपयोग किया है जिसने शिक्षा को आत्मसात नहीं किया वह है कुसमयोजित व्यक्ति।  जो गलत रस्ते पर चलकर अपने जीवन का निर्वाह करते है वो कुसमायोजन का शिकार हो चुके है तथा जो अच्छे मार्गो पर चलकर अपना जीवनयापन कर रहे  है वह है समायोजित व्यक्ति।  आधुनिक शिक्षा का सम्बन्ध व्यक्ति और समाज दोनों के कल्याण से है।  शिक्षा व्यक्तियों की ,व्यक्तियों के द्वारा और व्यक्तियों के लिए ही की जाने वाली प्रक्रिया है। यह सामाजिक प्रक्रिया है और इसको समाज के संपूर्ण स्वरुप और कार्यो से पृथक नहीं किया जा सकता है